किडनी स्टोन के लक्षण बहुतांश स्वरूप में दिखाई नहीं देते। गंभीर स्वरूप के किडनी स्टोन में पीड़ित व्यक्ति को गंभीर दर्द और ब्लीडिंग जैसी समस्या दिखाई देती है। किडनी स्टोन के लक्षणों में पेशाब करने में कठिनाई, पेशाब करते समय दर्द महसूस करना, जलन, पेशाब का रंग बदलना, बार बार पेशाब करने की इच्छा होना इत्यादि लक्षण दिखाई दे सकते है।
हमारे शरीर में सारे अवयवों का एक विशेष स्थान है। उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण अवयव मतलब हमारी किडनी! हमारी किडनी अपने शरीर का खून साफ करने का महत्वपूर्ण कार्य करती है। खून साफ करने के दौरान किडनी खून में मौजूद सभी अपशिष्ट उत्पादों और गैर जरूरी पौषक तत्वों को अलग कर के पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकालती है। अगर किडनी ठीक से काम न कर रही हो या खून में पोषकतत्वों की मात्रा अधिक हो जाए तो यह उत्पाद किडनी में ही जमा होने लगते है जिससे गुर्दे की पथरी की यानी किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है। खनिज और एसिड लवण (Mineral And Acid Salts) से किडनी में बनने वाली पथरी बनती है। आमतौर पर किडनी में बनने वाली यह पथरी यानी स्टोन पेशाब के जरिए बाहर निकल जाती है लेकिन कभी कभी यह पेशाब के जरिए बाहर निकल न पाने पर ऑपरेशन का सहारा भी लेना पड़ता है। इस ब्लॉग में हम किडनी स्टोन के बारे में सारी जानकारी प्राप्त करेंगे।
एक कठोर वस्तु की तरह यह पथरी यानी किडनी स्टोन होता है। जब पेशाब में उपस्थित रासायनिक पदार्थों की सांद्रता उनके निश्चित स्तर से अधिक हो जाती हैं यानी तरल पदार्थों से अधिक रासायनिक पदार्थ बढ़ जाते है तब किडनी स्टोन की समस्या निर्माण होती है। यह स्टोन का आकर हर व्यक्ति के शरीर में अलग अलग हो सकता है। यह एकदम छोटा या इतना बड़ा भी हो सकता है जिससे किडनी के अंदर की सारी खोखली जगह भर जाती है।
किडनी स्टोन किडनी में ही बनता है मगर वह यूरिनरी ट्रैक के अन्य स्थानों पर भी जा सकता है। कभी कभी यह स्टोन मूत्रवाहिनी यानी किडनी और मूत्राशय को जोड़ने वाली नली में फंस जाता है। जिससे मूत्र विसर्जन में बाधा उत्पन्न होती है। अगर किडनी स्टोन का आकर छोटा हो तो वह मूत्रवाहिनी के जरिए मूत्राशय और फिर पेशाब के जरिए शरीर के बाहर निकल जाता है। मगर मूत्रवाहिनी में फंसा किडनी स्टोन पीड़ित व्यक्ति को बहुत कष्ट देता है। लंबे समय तक अगर यह पथरी मूत्र वाहिनी में फंसी रहे तो शरीर को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है।
एक कठोर वस्तु की तरह यह पथरी यानी किडनी स्टोन होता है। जब पेशाब में उपस्थित रासायनिक पदार्थों की सांद्रता उनके निश्चित स्तर से अधिक हो जाती हैं यानी तरल पदार्थों से अधिक रासायनिक पदार्थ बढ़ जाते है तब किडनी स्टोन की समस्या निर्माण होती है। यह स्टोन का आकर हर व्यक्ति के शरीर में अलग अलग हो सकता है। यह एकदम छोटा या इतना बड़ा भी हो सकता है जिससे किडनी के अंदर की सारी खोखली जगह भर जाती है।
किडनी स्टोन किडनी में ही बनता है मगर वह यूरिनरी ट्रैक के अन्य स्थानों पर भी जा सकता है। कभी कभी यह स्टोन मूत्रवाहिनी यानी किडनी और मूत्राशय को जोड़ने वाली नली में फंस जाता है। जिससे मूत्र विसर्जन में बाधा उत्पन्न होती है। अगर किडनी स्टोन का आकर छोटा हो तो वह मूत्रवाहिनी के जरिए मूत्राशय और फिर पेशाब के जरिए शरीर के बाहर निकल जाता है। मगर मूत्रवाहिनी में फंसा किडनी स्टोन पीड़ित व्यक्ति को बहुत कष्ट देता है। लंबे समय तक अगर यह पथरी मूत्र वाहिनी में फंसी रहे तो शरीर को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है।
कैल्शियम ऑक्सालेट और कभी-कभी कैल्शियम फॉस्फेट या मैलेट रसायन शामिल होने से बनने वाला यह कैल्शियम स्टोन किडनी स्टोन का एक सामान्य प्रकार है। इस प्रकार से पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर टमाटर, चॉकलेट, नट्स और पालक जैसे उच्च ऑक्सालेट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने की सलाह देते है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि आप दैनंदिन जीवन में कैल्शियम की मात्रा बहुत ही कम कर दें। न्यूनतम स्तर से कम कैल्शियम की मात्रा भी कैल्शियम स्टोन होने का कारण बन सकती है।
यह किडनी स्टोन अधिकतर पुरुषों में पाया जाता है। मधुमेह, गाउट, मोटापा और अन्य मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों में यह स्टोन की समस्या दिखाई देती है। जब पेशाब अत्यधिक अम्लीय हो जाता है या मूत्र की मात्रा बहुत कम हो जाती है और व्यक्ति के खून में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है तब यह स्टोन की समस्या पाई जाती है। प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों के ज़्यादा सेवन से यानी मछली, मांस और शेलफिश जैसे पदार्थोसे यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने के कारण भी स्टोन हो सकता है।
यह किडनी स्टोन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाया जाता है। दूसरे किसी प्रकार के किडनी स्टोन के तुलन में यह आकर में बड़ा होता है और मूत्र मार्ग में रुकावट पैदा करता है।
यह किडनी स्टोन का एक बहुत दुर्लभ प्रकार है। यह प्रकार सिस्टिनुरिया नामक आनुवंशिक विकार वाले व्यक्तियों में उत्पन्न होता है।
इंडिनवीर, एसाइक्लोविर आदि जैसे दवाई के वजह से भी किडनी में स्टोन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
आजकल की बदलने वाली जीवनशैली किडनी स्टोन का एक प्रमुख कारण है। अस्वास्थ्य पूर्ण जीवनशैली किडनी स्टोन होने को बढ़ावा देती है। इन कारणों में से कुछ कारण इस तरह है:
खाना हमारे जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण भाग है। हम जिस प्रकार का अन्न सेवन करते है उसपर हमारी सेहद निर्भर करती है। कम पानी पीना, जरूरत से ज्यादा प्रोटीन का सेवन करना, शुगर का ज्यादा सेवन, वजन का बढ़ना, कैल्शियम की दवा का ज्यादा सेवन इस वजह से किडनी स्टोन हो सकता है।
अगर किसी को आनुवंशिक रूप से होने वाली बीमारी होती है तो उसे किडनी स्टोन होने का संभव होता है। मधुमेह, गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी, कुछ दवाई या सिस्टिनुरिया जैसे आनुवंशिक कारणों से किडनी स्टोन हो सकता है।
अगर आपको पहले किडनी स्टोन हो चुका हो या आपके परिवार में किसी को किडनी स्टोन की समस्या हो तो किडनी स्टोन हो सकता है।
अधिकतर समय किडनी में स्टोन हुआ है यह तब तक पता नहीं चलता जब तक वह मूत्रवाहिनी में न पहुंच जाए। जब वह मूत्र वाहिनी में फंस जाता है तब कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देते है।
जब किडनी स्टोन के वजह से पेट में दर्द होता है तब वह दर्द लहरों की तरह आता महसूस होता है। यह दर्द बीच-बीच में बहुत तेज हो जाता है।
किडनी स्टोन की वजह से पेशाब करते समय जलन महसूस होती है। साथ में पेशाब में खून भी दिखाई देता है। पेशाब का रंग लाल, भूरा या गुलाबी दिखाई दे सकता है। बार – बार पेशाब करने की इच्छा होती है।
इन लक्षणों के अलावा बुखार, ठंड लगना, उल्टी, जी मचलना, पेशाब को बहुत दुर्गंध आना, कम मात्रा में पेशाब होना, बिना रंग का पेशाब ऐसे कुछ लक्षण दिखाई देते है।
अगर आपको भी ऐसे कुछ लक्षण दिखाई दे रहे हो तो आप डॉ. निनाद तांबोली जो एक यूरोलॉजिस्ट है उनसे सलाह ले सकते है। उनकी अनुभव प्राप्त टीम हर व्यक्ति को वैयक्तिक स्तर पर अच्छी से अच्छी ट्रीटमेंट देने में विश्वास रखती है। नवी मुंबई, वाशी में डॉ. निनाद तांबोली जी की प्रैक्टिस चलती है।
जब आपको ऊपर दिए गए लक्षण दिखाई देने लगे तभी और वक्त जाया न करते हुए तुरंत अपनी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। अगर किडनी स्टोन के इलाज में देरी की जाए तो वह स्टोन किडनी को नुकसान पहुंचाता रहता है। अगर स्टोन को निकालने में देरी हो जाए तो कभी कभी किडनी अपना कार्य फिर से पहले जैसे नहीं कर पाती। अपना स्वास्थ्य चेकअप करवाते रहने से इस समस्या से बचा जा सकता है।
डॉक्टर आपके किडनी स्टोन का प्रकार और आकार पता करने के लिए ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, यूरिनरी ट्रैक, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड या X-ray जैसे टेस्ट्स कराते है। नवी मुंबई, वाशी के डॉ. निनाद तांबोली, जो कि बेहतर यूरोलॉजिस्ट माने जाते हैं, अपनी विशेषज्ञता और अनुभव के साथ किडनी स्टोन की सटीक पहचान और इलाज के लिए प्रसिद्ध हैं। डॉ. निनाद तांबोली और उनकी कुशल टीम प्रत्येक मरीज को सर्वोत्तम और व्यक्तिगत देखभाल देने में विश्वास रखते हैं।
किडनी स्टोन से छुटकारा पाने के लिए प्राथमिक स्तर पर घरेलू इलाज किए जा सकते है।
पानी को जीवन कहते है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद तो मिलती है; साथ ही शरीर में तैयार होने वाले जहरीले पदार्थ बाहर फेंके जाते है। ऐसी स्थिति में दिन में सात से आठ ग्लास पानी पीना जरूरी होता है।
मिनरल क्रिसटल्स के कारण आपके शरीर में किडनी स्टोन बनता है। इसे रोकने का काम अनार का रस करता है। अनार के रस में पोटैशियम होता है। यह यूरिन में मौजूद एसिड लेवल को भी सही रखने में मदद करता है।
ग्रीन टी किडनी में फंसे कैल्शियम को हटाने की मदद करने के साथ साथ ऑक्सालेट उत्सर्जन को कम करने में सहायता करती है। किडनी स्टोन के मामले में जितने तरल पदार्थों का सेवन किया जा सकता है वह अच्छा होता है। तरल पदार्थ के सेवन से यूरिन बनने में मदद होती है।
सेब का सिरके में मौजूद साइट्रिक एसिड किडनी स्टोन को छोटे छोटे कणों में तोड़ने और घोलने का कार्य करता है। यह शरीर में मौजूद जहरीले पदार्थ बाहर निकालने और किडनी को भी साफ करने का कार्य करता है।
किडनी स्टोन पेशाब में मौजूद रासायनिक पदार्थों के वजह से बनता है। छोटे आकार के स्टोन पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाते है। जबकि बड़े आकार के किडनी स्टोन पीड़ित व्यक्ति को दर्द और असुविधा पैदा करते है। इसलिए किडनी स्टोन के लक्षणों को नजरअंदाज किए बिना अपने डॉक्टर से उचित सलाह लेके ट्रीटमेंट शुरू कर देनी चाहिए।
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